hindi kahani short
अपने होठ चाट रहा था. उसके भोजन की घड़ियाँ बीत रही थी, कुछ ही देर में कोई पशु नही आया तो वह शिकार को चल पड़ेगा.
इसका अर्थ यही हुआ न कि चोरी करना व्यर्थ है”
ऐसा विचार कर उन्होंने बुद्धिमान शिष्य की परीक्षा लेने का निर्णय लिया,
इसलिए आपस में लड़ने झगड़ने और मनुष्य जन्म के मूल्यवान समय को व्यर्थ करने की अपेक्षा जीचन को अच्छे कर्मों और नाम सुमिरण में लगाओं ताकि तुम्हारा लोक परलोक संवर जाएगा.
यह क्या कठिन हैं दोनों को नदी में नहलाने ले जाओं जो आगे नदी में घुसे वही माँ हैं और जो पीछे पीछे चले वही बेटी हैं.
मोर ने देवी से अपनी कठोर आवाज के बारे में शिकायत की और उनसे पूछा, “कोयल की आवाज इतनी मीठी है पर मेरी क्यों नहीं? इसलिए मैं दुखी हूँ।
उसने कहा- ”सारी की सारी भैंसे दे तो छोडू” तब ग्वाले ने कहा- मै तो मामूली नौकर हु, इससे अधिक देना मेरे हाथ की बात नही, लेनी हो तो एक उम्दा भैंस ले लो. बहुत देर निहोरे किये फिर भी वह न माना.
एक बार, दो पड़ोसी थे, जिनके पास अपना–अपना बागान था और वे उनमें पौधे उगाते थे। उनमें से एक पड़ोसी बहुत सख्त था और अपने पौधों की जरुरत से ज्यादा देखभाल करता था। दूसरा पड़ोसी, उतना ही करता था जितने की आवश्यकता थी, लेकिन वह अपने पौधे की पत्तियों को अपने मन–मर्जी दिशा के बढ़ने देता था।
कुरज की विनती सुनकर भैसों के ग्वाले के ह्रदय में दया आ गईं, उसने खेत के मालिक से कहा- छांटकर एक बढ़िया सी भैस ले लो, और इस बंधी कुरज को छोड़ दो.
तभी दुसरे दोस्त बोले- इसे हम सबने एक साथ देखा, इसलिए यह हम सबका हैं.
पंडित राधे गुप्त उसका विवाह ऐसे योग्य व्यक्ति से करना चाहते थे, जिसके पास सम्पति भले न हो पर बुद्धिमान हो.
कि उसकी माँ ने यह देख लिया और उसे समझाने लगी. उमा तुम यह क्या कर रही हो, कोई काम कर रहा हो तो उसकी मदद करनी चाहिए, इंसान होकर हमें जीव जन्तुओं को कष्ट पहुचाने की बजाय उनकी मदद करनी चाहिए.
ग्वाले ने कहा- ”मै तो नौकर हु, इससे अधिक देना मेरे हाथ की बात नही, लेनी हो तो एक बढ़िया गाय ले लो.
गर्भावस्था गर्भावस्था सप्ताह दर सप्ताह